नारायणन विजयराज अलगर स्वामी उर्फ विजयकांत
तमिलनाडु का मदुरई शहर जहां सामान्य परिवार में पैदा हुआ एक शख्स जिसका नाम था नारायणन विजयराज अलगर स्वामी | बड़े होकर एक्टिंग की दुनिया की तरफ रख कर लिया | और तमिल फिल्मों में अपनी जगह बनाई | और अपने नाम से राज हटाकर कांत लगा दिया | और वहां से उनका नाम विजयकांत हुआ | कुछ ही वक्त में वह फिल्मी दुनिया में मशहूर हो गए | अपने मशहूर फिल्मी दुनिया से चलते-चलते पॉलिटिक्स में कदम रखा | और बहुत ही कम समय में भी पक्ष के सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे | फिल्मी जगत में उन्हें नाम तो मिला ही साथ ही राजनीति में भी वह जनता के दिलों में अपने लिए एक अच्छी जगह बना लिए थे | इस सफर के चलते चलते उनके स्वास्थ्य ने उनका साथ नहीं दिया और 71 साल में उनका निधन हो गया | यह नारायणन विजयराज अलगर स्वामी उर्फ विजयकांत तक का सफर तय किया | अपने जीवन काल में पहले एक्टर रहे और उसके बाद वह पॉलिटिशियन भी रहे | उन्हें दोनों ही जगह जनता ने प्यार दिया |
नारायणन विजयराज अलगर स्वामी उर्फ विजयकांत
विजयकांत फिल्मी दुनिया में
साल 25 अगस्त 1952 मैं मदुरई में जन्मे विजयकांत को फिल्मी जगत के बड़ी हस्तियों में गिना जाता था | उन्होंने तमिल सिनेमा में ही काम किया | उनकी एक फिल्म 1991 में आई कैप्टन प्रभाकरण इसके बाद लोग उन्हें कप्तान के नाम से जानने लगे | उसके बाद हर कोई उन्हें कप्तान के नाम से ही संबोधित करने लगा था | उन्होंने अपने जीवन काल में154 फिल्मों में काम किया | जिनमें से कुछ फिल्में हैं वैदेही कथिरुन्थल (1984), अम्मान कोविल किझाकाले (1986), पूनथोट्टा कवलकरन (1988), सेंथुरा पूव (1988), पुलन विसारनई (1990), चिन्ना गौंडर (1992), ईमानदार राज (1994), थायगम (1996) शामिल हैं। ) और वनथैप्पोला (2000)।और साथ ही उन्हें एक्टिंग के लिए कई अवार्ड भी मिले |
मिलने वाले अवार्ड
नारायणन विजयराज अलगर स्वामी उर्फ विजयकांत को कई अवार्ड भी मिले हैं | जैसे 1988 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार । 1996 में, थायगम में उनकी भूमिका के लिए उन्हें तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया । वह दो सिनेमा एक्सप्रेस पुरस्कार और एक दक्षिण फिल्मफेयर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता भी थे । उनके बारे में ऐसा भी कहा जाता है | 1984 में वह ऐसे एक्टर थे | जिन्होंने 18 फिल्मों में बतौर लीड एक्टर के तौर पर काम किया | उनकी सबसे फेमस फिल्म सत्तम ओरु इरुट्टाराई को मलयालम, तेलुगु ,कन्नड़ और हिंदी भाषा में भी बनाया गया | विजयकांत ने अपने फ़िल्मी करियर में कई सारे हिट फिल्में दी थी |
राजनीति करियर
फिल्मी जगत से हट कर विजयकांत राजनीति में आ गए थे | राजनीति में उतरते ही वह दूसरी बार में ही विपक्ष के नेता बन गए | राजनीति में उतारने का साल 2005 में ही फैसला कर लिया था | और वह ऐसे राज्य में उतरे जहां की पूरी राजनीति एडीएमके और डीएमके के इर्द-गिर्द घूमती रहती थी | वहां पर उन्होंने एक नई पार्टी का गठन किया जिसका नाम है | देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) | वह राजनीतिक दल के संस्थापक और अध्यक्ष थे | सन 2006 में उनकी पहली जीत हुई | इस कार्यकाल उन्होंने कई अच्छे कार्य भी किया | विजयकांत दो बार बतौर विधानसभा सदस्य काम किया | साल 2011 उनके लिए एक बड़ा बदलाव लाया उन्होंने 29 सीट पर विजय हासिल की थी | उसके बाद वह इस चुनाव में विपक्ष के नेता बने और सन 2016 तक रहे | इसके बाद हुए चुनाव में विजयकांत की पार्टी बेहतर नहीं कर पाई |
विजयकांत का आखिरी समय
बताया जा रहा था कि नारायणन विजयराज अलगर स्वामी उर्फ विजयकांत ( फिल्म एक्टर और राजनेता ) को कवईद हो गया था और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था | अस्पताल के बुलेटिन के मुताबिक 28 दिसंबर 2023 की सुबह वह इस जीवन और संसार को छोड़कर स्वर्ग वासी हो गए | उनके स्वर्गवासी होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिति कई बड़े नेताओं नेअपना शोक व्यक्त किया |
विजयकांत एक प्रतिभाशाली एक्टर थे | जिन्होंने भारत को कई सुपरहिट फिल्में दी | वह राजनीति में उतरने के बाद भी जनता के दिलों में अपने लिए जगह बनाया | उनकी आखिरी सफर में लाखों के तादाद में आई जनता ने नम आंखों के साथ तहे दिल से अलविदा किया | विजयकांत भारत के एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे |
लोक संग्रह शोक प्रकट करता है |
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