Kisan Aandolan: देश की राजधानी दिल्ली में अन्नदाता किसानों की एक बार फिर दस्तक दिए
Kisan Aandolan: देश की राजधानी दिल्ली में अन्नदाता किसानों की एक बार फिर दस्तक दिए हैं 2 साल पहले किसानों ने एक बड़ा आंदोलन किया था | और आंदोलन खत्म करते समय उन्होंने अपनी जीत का भी ऐलान किया था | लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि फिर एक बार किसान दिल्ली की दहलीज पर दस्तक देने वाले हैं |
इस बार किसानों की मांग क्या है |और कौन इस आंदोलन की अगवाई कर रहा है |
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साल 2020 आंदोलन का रिपोर्ट
सबसे पहले साल 2020 वाले आंदोलन का रीकैप कुछ ऐसा हैं | तारीख 5 जून 2020 भारत सरकार ने तीन फार्म बिल पेश किए इसी समय बड़े आंदोलन की चिंगारी पैदा हो चुकी थी किसानों ने तीनों बिलों की मुखालिफत की कहा इससे हमारा भला नहीं होगा | 14 सितंबर को पार्लियामेंट में अध्यादेश लाया गया | 17 सितंबर को यह लोकसभा में पास हुआ 3 दिन बाद 20 सितंबर को राज्यसभा में भी इसे पास कर दिया गया | 24 सितंबर को पंजाब में किसानों ने इसके खिलाफ न दिनों के लिए रेल रोको अभियान की शुरुआत की लेकिन इसका सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा | 25 सितंबर को ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी ने देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत की 27 सितंबर को इन बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलल गई | और यह बिल कानून बन गए | सरकार का कहना था कि इन कानूनों से किसानों का भला होगा | किसानों को डर लगा था |
कि सरकार इन कानूनों के जारी कुछ चुनिंदा फसलों पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का नियम खत्म कर देगी | और खेती किसानी के कॉरपोरेटाइजेशन को बढ़ावा दे सकती है | इसके बाद उन्हें बड़ी एग्री कमोडिटी कंपनियों का मोहताज होना पड़ेगा | इसलिए किसान इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे | 13 महीने तक किसानों ने आंदोलन किया इस दौरान कई किसानों की मौत हुई | किसानों ने पुलिस का दमन सहा आंसू गैस के गोले लाठी सबका प्रहार झेला संयुक्त किसान मोचा ने 700 से ज्यादा किसानों की लिस्ट जारी की जो प्रोटेस्ट के दौरान मारे गए |
पहले आंदोलन पर तीनों कानून वापस
नवंबर 2021 में भारत सरकार ने तीनों कानूनों को वापस ले लिया इस दौरान सरकार ने किसानों को एमएसपी की गारंटी देने का वादा किया कानून वापस लेते समय किसानों ने सरकार से कुछ मांगे भी की थी |
किसानों की क्या थी मांगे
पहला इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अगर किसी भी राज्य केंद्र की एजेंसी ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया है | तो आंदोलन संबंधी सभी मामले वापस लिए जाएं, दूसरा आंदोलन के दौरान मरने वाले सभी आंदोलनकारी किसानों के परिवार को मुआवजा दें, तीसरा पराली चलाने के मामलों में किसानों पर कोई आपराधिक दायित्व नहीं होना चाहिए, चौथा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन किया जाए संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को इस समिति में जोड़ा जाए और देश में एमएएसपी (msp) और इसकी खरीद पर चल रही नीति यथावत जारी रहे |
किसानों का दोहरा आंदोलन क्यों
किसानों का कहना है | कि सरकार ने उनके वादे पूरे नहीं किए हैं | इसलिए वो फिर से आंदोलन कर रहे हैं | आंदोलन में किसानों की क्या मांगे हैं | किसानों मजदूरों के लिए पूर्ण कर्ज माफी समेत एक व्यापक ऋण राहत कार्यक्रम लागू किया जाए | राष्ट्रीय स्तर पर भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को बहाल किया जाए | जिसमें किसानों से लिखित सहमति की जरूरत होती है | और कलेक्टर रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाए | किसानों और 58 साल से ज्यादा उम्र के खेतीहर मजदूरों के लिए प्रतिमाह पेंशन देने की योजना बनाई जाए | और साथ ही दिल्ली में हुए आंदोलन के दौरान जान गवाने वाले प्रत्येक किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए | और उनके परिवार के एक सदस्य को रोजगार भी लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिले | अक्टूबर 2021 में घटी घटना में आठ लोगों की जान चली गई थी |
सोमवार 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को दी गई अंतरिम जमानत और बढ़ा दी है | कृषि वस्तुओं दूध उत्पादों फल सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी कि मनरेगा को बढ़ाया जाए | दिहाड़ी मजदूर की जाए और सालाना 200 दिन का रोजगार मिले | इस कृषि गतिविधियों के साथ एकीकृत किया जाए बीज गुणवत्ता मानको में सुधार के लिए नकली बीज कीटनाशक और उवग बनाने बेचने वाली कंपनियों पर सख्त कारवाई की जाए | मिर्च हल्दी और बाकी सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की जाए सरकार डॉक्टर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के लिए कानून बनाए | और भी कई मुद्दे किसानों ने सरकार के सामने रखी है जिनके खिलाफ किसान आज आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए है |